पान:संपूर्ण भूषण.djvu/231

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१८१ फुटकर | (३७) उलदत=ढळत. भीम-स्थूल. आह-धैर्य. विंध्यपर्वत. बिलन्द उंच, झूल झणति झपान-झुलीस लावलेले. शहरात=झाडतात. मजेजदार= मिजासखोर. कुंजर-हत्ती. जुद्ध को चढ़त दुल बुद्ध को जसत तब लंक ला अतंकन के पतरै पतारे से । भूषन भनत भारे घूमत गयंद कारे बाजत नगारे जात अरि उर छारे से ॥ धसिक धरा के गाढ़े कोल की कड़ाके डाढ़े आवत तरारे दिगपालन तमोरे से । फेन से फनीस फन फुटि विष छूट जात उछरि उछरि सिंह पुर वै भुआरे से ॥ ३८ ॥ (३८) अतंक-धाक. गर्यद-हत्ती. उरछारे छाती फाटली. धसिकै घुसून उछरि-उसळून. अकबर पायो भगवन्त के तनै सो मान बहुरि जगतसिंह महा मरदाने स । भूषन त्यो पायो जहाँगीर महासिंह जू सौ साहजहाँ पायो जयसिंह जग जाने स ॥ अब अवरंगजेब पायो रामसिंह जू स और दिन दिन पैहै कुरम के माने स । केते राजा राय मान पावै पातसाहन सी पार्वे पातसाह मान मान के घराने सौ ॥ ३९ ॥ (३९) कुरम के माने-कछवाहा वंशज मानसिंह. के ते-कित्येक डंका के दिये ते दल डम्बर उमंड्यो उडमड्यो उडमण्डल ल खुर की गरद्द है। जहाँ दारासाह बहादुर के चढ़त पैड़ पैड़ में मड़त मारू राग बम्ब नद्द है । भूषन भनत घने घुम्मत हरौल वारे किम्मत अमोल बहु हिम्मत दुरद्द है। हद्दन छपद्द महि मई फरनद्द होत कद्दन भनइ से जलद्द हलदह है ॥ ४० ॥ (४०) डम्बर मेघ. उडमंड्यो=व्यापलें. उडमंडल-तारामंडल. गरद्द गर्दै धूळ. पैड पैठ–पदोपदीं. दुरद्द-हत्ती. छपदभुंगे.