पान:संपूर्ण भूषण.djvu/224

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टकर १७४ ":"- - = = कुरम कबंध हाडा हूँ बर बघेला वीर प्रबल बुन्देला हुते जेते दलमनी सो । देवल गिरन लागे मूरति ले विप्न | भागे नेकहू न जागे सोई रहो रजधनी सौ । सबने पुकार करी सुरन मनःइबे को सुर ने पुकार भारी कोनी विश्वधनी सो । धरम रसातल को डूबत उबायो सिवा मारि तुरकाने घोर बल्लम की अनी स ।। १५ ।।। (१५) बम-भाला, अनी-टोंक. नेफहू-एक देखील. मना इबे प्रसन करण्यासाठी. उबायो=वर उचलला. बैठती दुकान लेके रानी रजवारन की तहाँ आइ बादशाह राह देखे सब की । बेटिन को यार और यार है लुगाइन को राहन के मार दावादार गये दबकी ॥ ऐसी कीनी बात तोऊ काऊए न कानी घात भई है नदानी बंस छत्तस में कबकी। दच्छि के नाथ ऐसी देखि धरे मूॐ हाथ सिवाजा न होतो तो सुनत होती सब की ।। १६ ॥ (१६) लुगाइन स्त्रिया. नानी-उपमर्द. सुनते-जुता. | देह देह देह फिर पाइये न ऐसी देह जौन तौन जो न जाने कौन जौन आइयो । जेते मन मानिक हैं ते ते मन मानि कहैं, धरई में धरे ते ती धराई में धराइबो ॥ एक भूख राख भूख रखै मत भूषन की यहि भूख राख भूप ‘भूषन' बनाइयो । गगन के गौन जम न गिनन दैहैं नग नगन चलेगो साथ नग न चलाइबो ॥ १७ ॥ (१७) देह देह-या, जते=जित के. मन-माण. जान तीन=जो, तो. मन मानी=स येईल त्याप्रमाणे. भूख-भूक. गौने-जाणे. जम=यम. गिनने न दें हैं=मोजु देत नाही. नान-दागिने, नग्न. जोर रूसियान को है तेग खुरासान की है नीति इंगलांड चीन हुन्नर महादरी। हिम्मत अमान मरदान हिन्दुवान हू