पान:संपूर्ण भूषण.djvu/221

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बाप ते बिसाल भूमि जत्यो दस दिसिन ते महिमें प्रताप कीनो भारी भूप भान सों। ऐसो भयो साहि के सपूत सिवराज बीर तैसो भयो होत है न व्है है कोऊ न स ॥ एदिल कुतुबसाह औरंग के मारिबे को भूषन भनत को है। सरजा खुमान स । तीनपुर त्रिपुर के मारे शिव तीन बान तीन पातसाही हनी एक किरवान सौ ॥ ४ (४) कानो=केला. सों-प्रमाणे. व्है है-झाला आहे. हनी=मारिली. तेरी धाकही ते नित बसी फिरंगिया बिलायती बिलन्दे करै बारिधि बिहरनौ । भूषन भनत बीजापुर भागनेर दिल्ली तेरे बैर भयौ उमरावन कौ मरनौ ॥ बीच बीच उहाँ केत जोर से मुलुक लूटे कहाँ लगि साहस सिवानी तेरे बरनौ । आठ दिगपाल त्रास आठ दिसि जतिबे को आठ पातसाहन सो आठोयाम लरनौ ॥ ५ ॥ (५) बिलन्दे-गोलन्दाज. केते=किती. सॉ= श. | भूप सिवराज कोप करी रनमंडल में खग्ग गहि कुद्यो चकता के दरबारे में । काटे भट विकट औ गजन के सुण्ड काटे पाटे डर भूमि काटे दुवन सितारे में ॥ भूषन भनत चैन उपजे शिवा के चित्त चौंसठ नचाई जबै रेवा के किनारे में। आंतन की ताँत बाजी खाल की मृदङ्ग बाजी खोपरी की ताल पसुपाल के अखारे में ।। ६ ।। (६) गहि=घेऊन. चकता=चगताई वंशज ( औरंगजेब ). दुर्वन-शत्रु. तिन=होती. तत=तैतु. खालचामडी, त्वचा. अखारे में=आखाड्यात. दौरि चढ़ि ऊँट फरियाद चहुँ खैट कियो सूरत को कूट सिवा लूट धन लै गयो । कहि ऐसे आप आमखास मधि साहन को कौन ठौर जायें दाग छाती बीच दै गयो ।। सुनि सोइ साह कहे यारो उमराओ जाओ सो गुनाह राव एती