पान:संपूर्ण भूषण.djvu/220

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را با - फुटकर जानि पति बागवान मुगल पठान सेख बेल सम फिरत रहत दिन रात हैं। ताते है अनेक कोई सामने चलत कोई पीठ दे चलत मुख नाहीं सरमात हैं ॥ भूपन भनत जुरे जहा जहाँ जुद्धभूमि सजा सिवा के जस बाग न समात हैं। रहट की घड़ी जैसे औरंग के उमराव पानिप दिली ते लाइ ढोरि ढोरि जात हैं ॥ १ ॥ (१) ताते=त्यामुळे, रह-रहाट. घडी=पोहरा. ढोरि होरि-उलथून, पालथे करून. पानप=पाणी, मान. तेग बरदार स्याह पंखा बरदार स्याह निखिल नकीब स्याह बोलत बिराह का । पान पीक दानी स्याह सेनापति मुख स्याह जहाँ तहाँ ठाढे गिने भूषन सिपाह को ॥ स्याह भये सारी पातसाही के अमीर खान काहू को न रह्यो जोम समर उमाह को । सिंह सिवराज दल मुगल विनासि कर घास ज्यों पजाप्यो आमखास पातसाह को ॥ २ ॥ (२) तेग= तरवार. बरदार- उचलणारे, धारण करणारे. स्याह-काळा. मकीब-शत्रु बिराह=3ड मार्ग. ठाढे उभे. उमाह-उत्साह. पजा-योजाळलें: सिंधु के अगस्त और बॉस बन दावानल तिमिर १ तरनि की किरन समाज हो । कंस के कन्हैया और चूहा के बिड़ाल पुनि कैटभ की कालिका विहंगम के बाज हो ॥ भूषन भनत सब असुर के इन्द्र पुनि पन्नग के कुल के प्रबल पच्छिराज हो । रावन के राम सहसबाहु के परसुराम दिल्लीपति दिग्गज के सिंह सिवराज हो ॥ ३ ॥ (३) बॉस-वेळ. बिछाल-मजर. पुनि-पुनः.