पान:संपूर्ण भूषण.djvu/219

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१६९ छत्रशाल-दुशक =

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को। दच्छिन के नाह को कटक रोक्यो महाबाहु ज्य सहसबाहु ने प्रबाहु रोक्यो रेवा को ॥ ८ ॥ (८) दुहबटि-धवून हस्तगत केले. मेंढे-सीमेवर. बरगी बहरिपक्षी विशेष. सोर गोंगाट. नाह=नाथ. बाजे बाजे राजे से निवाजे हैं नजर करी बाजे बाजे राजे काढ़ि काटे असे मत्ता स । बाँके बाँके सूबा नालबंदी दे सलाह करें बाँके बाँके सूबा करें एक एक लत्तासी ॥ गाढ़े। गाढ़े गढ़पति काटे रामद्वार दे दे गाढे गाढ़े गढ़पति आने तरे कत्ता स। बाजीराव गाज ते उबाच्यो आइ छत्रसाल आमिल बिठायो बल करि कै चकत्ता सो ॥९॥ (९) गाहे-प्रबल. फत्ता तरे=कत्याखालीं. कत्ता=तरवार, उबायोउत्साहित झाला. आमिल=अधिकारी. । राजत अखंड तेज छाजत सुजस बड़ो गाजत गर्यद दिग्गजन हिय साल को। जाहि के प्रताप स मलीन अफ ताप होत ताप तजि दुजन करत बहु ख्याल को ॥ साज सजि गज तुरी पैदरि कतार दीन्ह भूषन भनत ऐसो दीन प्रतिपाल को ? । और राव राजा एक मन मैं न ल्याऊं अब साहू को सराहाँ कै सराहा छत्रसाल को ॥ १० ॥ (१०) छाजत=शोभत. गयन्द-हती. हिय-हृदय. आफताप–सूर्य तुरी-घोडा. कतार-ग. सराह-वर्णन करू. साहू-शाहूमहाराज. ५ [...-- | Py }}}