पान:संपूर्ण भूषण.djvu/217

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१६७ ७२।७ दश ...----- = -=-=-=- = - =-=-=- =-=- (२) जमकै= जमते, टिकते. भादौ-भादप३. घरा=. मरदू-धूळ सेले-भाले. दुभ=च नको. घन-चण. बेहात्रिपा. बार 7 की दूरदय। अगारन-घरे. नाँधती=उल्लघतात. पगारन=अनवाणी. धमकै=ध्वनि. अत्र नहि छत्रसाल खिझ्यो खेत बेतवे के उत ते पठाननहू कीन्हीं झुक झपटैं। हिम्मति बड़ी के गवडो के खिलवारन लौं देत सै हजारन हजार बार अपर्दै ॥ भूषन भनत काली हुलसी असासन को सीसन को ईस की जमाति जोर जपर्दै। समद लीं समद की सेना त्यो देलन की सेलै समसेरै भई बाड़व की लपटें ॥ ३ ॥ (३) अन्न-अस्त्र, गहि=घेऊन. खीझ्योरुड, क्रुद्ध बेतवे के उत बेतवा नदीपलीकडे. गवडि=एक खेळ. हुलसी=उ उके इाली. ईस जमाति-महादेवाचे गण.समद-समुद्र, अब्दुल समद. मो=सर.|गाहे पाठभदे है बर हरट्ट साजि गै बर गरट्ट सम पैदर के ठट्ट फौज जुरी तुरकाने की। भूषन भनत राय चंपति कोछत्रसाल रोप्यो रन ख्याल हैके ढाल हिंदुवाने की ॥ कैयक हजार एक बार बैरी मारि डारे रंजक दगनि मानो अगिनि रिसाने की। सैद अफगन सेन सगर सुतन लागी कपिल सराप लौं तराप तोपखाने की ॥ ४ ॥ (४) है र=चगिला घोडा. हरट्ट-पुष्ट, गैबर-हत्ती. गर-समह. उट्ठ समुदाय. रोप्योरोवली. रंजक=चित्रकार, रंगारी, गनिन्चमक, रिसाने की अगिनी-क्रोधाग्नि. लौं-प्रमाणे. सगर जुतन-सगर पुत्रना. लागी= लागले. ताप-तड़फड़. चाक चक चमू के अचाक चक चहुँ ओर चाक सी फिरत धाक चंपति के लाल की। भूषन भनत पातसाही मारि जेर कीन्हीं काहू उमराव ना करेरी करबाल की ॥ सुनि सुनि रीति बिरदैत के बड़प्पन की थप्पन उथप्पन की बानि छत्र