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पान:नित्यनेमावली.pdf/११९

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८३ पिता नैव मे नैव माता न जन्मः | न बन्धुर्न मित्रं गुरुनैव शिष्यः चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥५॥ अहं निर्विकल्पी निराकाररूपी विभुन्वाच्य सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणि । सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्ध: चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ||६|| इति श्री शंकराचार्य विरचितं निर्वाण षटकं संपूर्णम् ॥