पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना RSR नन्तर असावा असें वाटू लागतें. परन्तु जेथे चरणाचे वृतदृष्ट्या सारखे दोन तुकडे पडू शकतात तेथे चरणमध्यावर यति असतो. त्यांतून तेथे जर काही मात्रांचा विराम असल तर यति अपरिहार्यपणें मानलाच पाहिजे. ३५ न्रीडा-वर्ग ५९६ त्रीडा [ པ, ----- -- ] ५९७ “सुकेशी” 米 ] ں-------- I س~ --ں[ ५९८ ' महामाया” * [ ७ - - - । ७ - - -] ५९९ *मृगाक्षी” * [ ७ --- ॥ ७ - - - | ~ --] ६०० *प्रसूनाङ्गी” * [७ - - - | ~ --- ॥ ७ ---] ६०१ *पिनाकी” * [ ७ --- ॥ ७ --- । ७ --- ॥ ७ --.] ६०२ *वियद्रज्ञा? :ں !---~-- ن ------- ن] جہ-------- lب ------[ [--ں ں ---ں |--ں ں ۔ ں !--ں ں -- ن -- ن ں --- ن]عہ: ” g{<fلچf&Hi“ 8ةo & ğqT ५९६ य्र्गी त्रीडा (हे २/१५, कद ४/६). ३६ सावित्री-वर्ग ६०५ लघुमालिनी [- ७ ७ - ~ | -] ६०६ सुनन्दा [---~ । --] ६०७ दीसा ]نسس۔ --ں ب -------[ ६०८ विनिम्ना [- ७ ७ - ७ । --.] ६०९ चित्तविलासित [~ ७ ७ ७ - ७ - - ६१० भ्रमरमाला [-- ~ ~ ` । --.] ६११ हंसरुत [--- ~ | ~ ७ --.] [- -- ܐ ܚ - ܚ ܢ ܼ- | ܢܝ -- -- -- ] HIf0arg ܟ ؟ ؟ ६१३ * मेधावी? * [---७ ॥ --- ७ ॥ ---] ६१४ * मायावी? *[---७ ॥ --- ७ ॥ --- ७ ॥ ---]
पान:छन्दोरचना.djvu/199
Appearance