पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना ter २९८ चित्रगति ]1[ - ܚ ܟ - | ܢ ܝ - ܟ ܝ -[ २९९ वन्ज ]l - s ب ب س ن س -- ں--[ ३०० दुप्तपादगति [। • • • • - ५ ~ | — • • -] ३०१ सिंहाक्रान्ता [। - - - - । ० ० ० ० -] ३०२ सुरदयिता [ – ” ° " " | ں ں ں و -- ३०३ विकचकुमुदिनी [। --- • • । • • • • -] ३०४ कमलदलाक्षी [। · · · · - | V v V V — ३०५ मुखचपला [। -- • • • • I V V V V — ३०६ त्वरितगति [। • • • • • • • • lں نہ ہی ن--[ ३०७ “सुलोचना” [।--~ ७ - l ں س-ں--[ ३०८ 'चारुलोचना’ [॥ ७ ७ - ७ ७ - ! ں ---ں--[ ३० ९ प्रसरे ]| ں ---ں ! - ܚ ܝ ܚ ܝ ܚ ܝ--[ 88 o ogЧКНs” i v – v –– I س- ب --ں[ الس- د --- د! -- ف ف دہ س-ں [ ] ”dنچI&{efیah؟ ? بچ ३१२ मनोरमा ]I ں س-ں !-- ن -- ن ں ں--[ ३१३ 'पिच्छ” ]|-ں --- ن --- ا ب س - ن ں س[ ३१४ जुत्सुक ][ ں ں -- ن ں س۔!-- Sں--[ ]lーSッー ہے۔ ی -- ن --!] ”?dRsfR)، ہا& 3 ३१६ कुसुमिता ] س۔ ا س - ن -- ن ں ںS ں[ ३१७ भद्रिका ]]I-- نب س ن - ن ! --S ں--[ टीपा २८७ * मौ गो गान्धर्वी” (हे २/४७), शीर्षरूपक (प्रापै २/६४), हेमाक्षी (निस ३८ ). २८८ ** मः सो गुरुयुग्मं मेरुरूपा?? (पि ९८ टीप). २८९ तार, मागे २७६ पहा. २९० स्भौमू कलह (रपि ३६३), भिजी २८० या कवितेवर सरला हें नाव दिलें आहे तें निराधार आणि अग्राह्य आहे. २९१ तन्माः कनकलता (भ ३२/२००), मकरलता (हे २/१०२). २९२ *नज्यगा विपुलभुजा” (हे २/१२५, भ ३२/२२१). ५९३
पान:छन्दोरचना.djvu/169
Appearance