पान:श्रीएकनाथ.pdf/32

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१६ श्रीएकनाथ. कपडा फाटे चमडा तूटे हो गये सब सायास ॥ एका जनार्दनका बंदा दीलका दरवेश ॥६॥ (बादशहा प्रवेश करतो; सर्व कलावंतिणी जातात.) लैला-(एकीकडे ) मेरे शहाजादेके शादीमे मेरे दिलोजानू मेरे प्यारे, मेरे दिलकी खाय्ष् पूरी करनेवाले, हुजूरे पूनसे, मेरे मनकी मुरादें कच् पूरी न किई गई. वास्ते इस्के मय् आव् इन्के उप्र खपा मर्जी करके जरा गरम् होके बैठती हूं. क्या इंतेजाम् होता हय सो देखती हूं. बादशहा-क्या, हमारे आनेसे नाच और गाना मोकुफ हो गया ? बडी ताजुब्की बात हैय्. क्या हम उसमे कदान नहीं ? या गानेका इलम् हमे मालूम नही ? ( लैला आपल्याशी कांहीं बोलत नाहीं असें पाहून ) क्या हमारे उपर खपा मर्जी ? लेकिन हमसे कुसूर क्या ? इसकातोबी बयान करो. ( हात धरावयास जातो तो ती झिडकारून टाकिते. ) क्या नादानिकी बात हय्, तो हातमेका हात् निकल जाता हृय. मयू समजाके आप दोनो सात्, तो हरगिज न होना तेढी बात. लैला-आपके बातोपर येत्वार, तो नाहाक् दूसरेके छातीपर कटयार, मुजे आप बोलेथे के तू बुलबुलेसे प्यार, तो फिर क्यंव हूवा शादीमे जिकूर, क्या मेरा शहाजादा था गव्हार ? बादशहा-साहेब जादेकू कोन कहे गा गव्हार, उसे मयू कहुंगा पागल् नादार लेकिन् मयने कीया दूलनके उपर नजर, फिर क्या काम जरोजेवर ! तुजे चाहीये या खायः हो अगर, तो दया की नही लगेगा करनेकू सफर, खजानेमेसे लेनेक मत्कर कुसूर. लैला-वो खजाना हयू मेरा, फिर शादीका क्यं तोरा क्या आपके उप था जोरा, तो शहाजादेक बिलफेल् कीया इशारा, और घरमे लाया मुशारा ? सबूर करना था जरा, लाखो लवंडीया मिल्तीथी एक्सा, लेकिन जिसमे मेरी बदनामीकी तन्हा, उस्मे आपकू खुषी हजारा. बादशहा-चले जाता चाहे उदर, वास्ते कहनेकू आया था तेरे फायदेकी खबर, लेकिन तू हय् बेजार आप्ने बेतौरसे, अदमी Is this all in veßl?