या पानाचे मुद्रितशोधन झालेले आहे
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घराण्याचे नाव व जात | धंदा हे मनुप्रणित धंदे नाहीत | किती पिढ्या टिकल्या | |
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१ | बाळाजी आबाजी चिटणीस क्षत्रिय | लेखणी | ९ पिढ्या |
२ | बारामतीकर जोशी ब्राह्मण | सावकार | १० पिढ्या |
३ | मेहेंदळे ब्राह्मण | सरदारकी | सुमारे ८ पिढ्या |
४ | पटवर्धन ब्राह्मण | " | सुमारे १० पिढ्या |
५ | खांडेकर ब्राह्मण | ओरिसाचे सुभेदार | ७ पिढ्या |
६ | रामचंद्र गणेश कानडे ब्राह्मण | लढवय्ये [सरदार | ७ पिढ्या |
७ | रामचंद्र नाईक परांजपे " | सावकार | ७ पिढ्या |
८ | केशव भास्कर परांजपे " | कापडाचा व्यापार | ११ पिढ्या |
९ | परांजपे कुलांतील १५ वे घराणे " | सावकार [देशमुख | १० पिढ्या |
१० | बाळाजी महादेव परांजपे " | वसईच्या किल्यावर | ७ पिढ्या |
११ | गोखले " | आदिलशाहीपासून सावकारी पुढे पेशवाईत सरदारकी | सुमारे २० पिढ्या |
१२ | बरवे घराणे " | सरदारकी व सावकारी | पुष्कळ शाखा ९ पिढ्या |
१३ | पानसे " | शिवाजीच्या वेळेपासून सरदार | सुमारे १२ पिढ्या वंश चालू आहे. |
१४ | पुंडे " | [सावकारी | [चालू ३३ पिढ्या |
१५ | मावळकर सरदेसाई " | सरदेशमुख | अनेक शाखा |
वरील कोष्टक पाहून असे ध्यानात येईल की, वृत्तिसंकर व वंशनाश यांचा काहीएक संबंध नाही.