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पान:पुराणनिरीक्षण-पूर्वार्ध.pdf/२३९

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२२४ २१ २२ २४ २५ २६ २३ रन्नम २७ महानिधाननागेन्द्रवेश्मादिभिर स्मरणास किरणा.... वितसर्वगु (ण) प्रथित सुखोपभोगयोगम् • रेन्द्रमंदिराणां रुचिमंदर कन्द समव्यतिरोचने गिरोवींक यथेप्सित .... .... .... ..... क for ....... .... प्रीतिप्रसादविकचप्रणयो नवक्त्राचेताः लयसुरेंद्र मौलिप्रभाप वराहदेव नृदेवसौख्यान्यनुभूव श।सासुगतप्रशस्तः सान्द्रांबुदभुजंगभोग शीलकपिलैर्यावकरैर्भास्वरतावच्छा .... .... पुराणनिरीक्षण. ......... .... .... ....

.... .... .... . सेव्यतामंतमंडप लरललय पूविभ विविध- .... MPP यस्य जनननाम बन्धवशात् स लयनसानुः सेव्यमानो महद्भिर्गिरिरय द्य जगदपि च समस्तव्यस्तदोपप्रहाणान् विशतु पदमशोकं निर्ज्वरं शांतमार्थ्य या लेखाविषय डॉ० भाऊ दाजींचे उद्गार असे आहेत:- “ The inscription in its present imperfect condition would have almost failed to give us any valuable inform- ation: but taken in connection with the contents of the Seoni Copper plate grants ( Bengal Asiatic Society's Journal, vol. V, p, 729 ), and with certain passages in the Puranas, I am enabled to point out a dynasty of यवन's or Greeks in centrol of Indi taking the lead in the performance of Vedic sacrifices, as well as executing the most substantial and cos- tly works for the encouragement of Buddhism. The Seoni