पान:नित्यनेमावली.pdf/४८

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नाम भजे गुरुनाम भजे शिवनाम भजे ॥१॥ १२ दुपारचे भजन भाग १. हरनाम भजे कहो कहो जी गुरुभजनका कर्णरंध मेरे सुनता है । नव दरबाजे वद किये तो दशविध नाद बजता है ॥ १॥ अजब बजाया मोलि देखो सदाशिव को सुनता है । आदि पूरसे फेरे फिरसे सहस्त्रारपर नाद बजता है ||२|| एक अक्षरका मार्ग जानिला दुसरे उसमें न्यारा है । दो अक्षरका मार्ग मिले तो फियने न्यारा होता है || ३ || तीन अक्षरका मार्ग जानिला तीन मूर्तिका होता है । नादबिदुकल एक बना तो दुनिया डुबकर पिचडे है ॥ ४॥ चिता करकर देखो दिलपर तीनगुणमे न्यारा है । पंचलिंग जब एक बन तो आत्मक ब्रह्म बजाता है ॥५॥ शिवानगरपर शंकर मूनशी सिद्धासनपर बैठे है । माया शंकरि तीन गुणमे मदरस जपतो पिचडे है ॥ ६॥ चिदानंदगुरु ब्रह्म कृपासे बोधसार मैं बोलत है । अंतरंगसे मार्ग जानिला लिगसंग जप होता है ||७|| L