पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना १६८ 1- ܟ - ܢܢ - | ܟ ܟ ܟ - ܟ - | ܢܝ ܝ ܚ - ܚ - | ܢܝ ܝ ܚ - ܝ -- ܐ ] ५८२ *सु 'चित्रक [रथोद्धता । ७ - ७ ~ ७ ७ ७ । - ७ - ७ - ५८३ माधवीलता [।----। ७ -ऽ-ऽऽ! मालती ] ५८४ हयलीलाङ्गी [--------- ن ں I --- س ن ں ـ ں I --ں یہ ں --ں S SI --ں ں ں نl] ] । जलोद्धतगति سی۔ س ن ں سب S SIس-ں ں --lab[I: 'برہا ५८६ अश्धललित [। ~ ~ ~ ७ - ऽ ऽ । ७ - ७ ७ ७ - ! जलोद्धतगति ] ५८७ ललितविक्रम [--- ن -----ں I ----ں ں ں --- ں !-- س ن ں --ں SI ک -- ب س --- l] टीपा ५६६ *कामोन्मत्ता, ” मुगौ कामुकी” (हे २/२६७) यति जैः असा अरावा. याच लगक्रमाचें परन्तुनिराळ्या मोडणीचें वृत्त*ब्रह्माणी” ५५६ पहा. ५६७ मौ भ्मौ स्मौ मञ्जीरं (प्रापै २/१८० ). ५६८ हेमकला ( निस १२४), 'भैरथ सप्ताभिरत्र कृता गुरुणा गुरुणा च मयूरगतिः स्यातू” (केनिआ ६९), मक्तगयन्द (छप्र २०३). या वृत्ताला निरङ्खनमाधव आणि परशुराम तात्या हे मदिरा म्हणतात तें सर्वथैव चुकीचें आहे. ५६९ भौ भौ नैी भगौं गू ‘ वरदा. ' ५७० न्जौ जो उभौ ज्यौ ‘परिमिति. " ५७१ ** भ्नज्नस्नन्भगगैखर्गर्वार्वेषुभिदि रञ्जनम्?’ ( ममञ्च २० ). ५७२ त्नौ त्नौ त्नौ भौ “समुल्लस.” ५७३ तन्वी (पि ७/२८), भूतमुनीनैर्यतिरिह भतनाः स्भौ भनयाश्च यादि भवति तन्वी ?? (के ३/१०८ ). ५७४ मौ त्नौ नौ स्गौ “सुरुचिर ”-हंसी जैः, हंसी (प्रांपै २/२०४). ५७५ किरीट (प्रांपै २/२१०), 'भू सुभद्र” (हे २/३६९), 'नाम किरीटमिदं भगणा यदि पिङ्गलनागमुनीन्द्रमतं किल” ( गछ २/२२१). ५७६ * भो नौ स्मौ निल्गा आपीडो दै: ” (हे २/३७९); हेमचन्द्राचेंच उदाहरण पाहतां यति दुस-या आवर्तनान्तीं म्हणजे*डे:” पाहिजे. ५७७मत्ताक्रीडा (पि ७/२७ ), ‘ मत्ताक्रीडा मौ त्नी नौ नल्गिति भवाते वसुशरदृशयतियुता” (के ३/१०७). ७७८ क्रौव्रपदा (पि ७/२९), * क्रौद्धपदा भ्मौ स्भौ
पान:छन्दोरचना.djvu/195
Appearance