पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना ५२२ “सुर”-वाणिनी [-- s lس- ن --ں نl-۔ ں ن ں --ں | ss -- س ن ں ں {] [-- s - ں --ں ں !-- س ن ں --ں !TUiif [1-------- S S& چxہا 扮可 Uኳ?፣ጳ 'स'न्मणिमाला, « δ τιΤΗί मणिमाला وو :چ (हे २/३०२ ). ५१४ तरुणी, *सूगौ तरुणीवदनेन्दुः” (हे २/३३४, कद ४/८७). ५१५ न्जौ ज्यौ नौ स्*अति”-चपला, चपला (भ ३२/२९८). ५१६ *त्रिज्सौं गो रतिलीला चर्चे:” (हे २/३२७). ५१७ बुद्बुद, मागे ४६ पहा. ५१८ सुर्जी गो*मनोगतिः”, ललितगात (भ३२/१९१). ५१९ *भ्नौ य्नौ न्रौ ल्गैौ दीपिकाशिखा गचैः” (हे २/३४४); परन्तु याप्रमाणे यति पाळल्यास चार मात्रांचा आद्यतालकपूर्वगण येथून छन्दोभज्ञ होतो तेव्हा यति ‘ छचै:” असे घेणें श्रेयस्कर होअील. ५२० जूली गू 'सुरासुरवन्द्य”. ५२१ न्जौ भ्जौ ज्रौ *त्रिदशाङ्गना?. ५२२ न्जौ भ्जौ ज्गौ ग् * सुर-' वाणिनी, वाणिनी (हे २/३००). ५२३ म्जौ सौ यू स्वर्णाक्षी गचैः, मागे २३ पहा. ३० वायुवेगा-वर्ग [- ܝ | - ܚ ܝ ܚ ܝ - | ܢܝ ܝ ܚ - ܚ- | ܝ ܚ - -- - []z apgàTIIܟ܉ ५२५ चन्दन ]— V V V? V? WV v l v ں ں lں ں نی ------ں I -- ن --ں --l] [- ܝ | - - ܚ - ܝ 1 - ܚ ܝ ܚ - ܝ |s 5 - ܝ ܚ ܝ ܟ 1] ܕܪ̈ܗܕ ؟ܟ ܪ [----Iں ں -- س ن ں بV V V V V V V V V V l ܚ ܝ ܝ ܚ ܝ ܚ ܐ ]
पान:छन्दोरचना.djvu/189
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