पान:छन्दोरचना.djvu/152

विकिस्रोत कडून
या पानाचे मुद्रितशोधन झालेले नाही

पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने &rur वृत्तविस्तार [- ن ---- ن ----- !--ں نہ ں --!--------] dTیمo arH گ\? १४१ छाया [७ ----- !ں ---- ن - --!---ں نہ بں ن--[ १४२ करिमकरभुजा [७ • • • • • -!-- " -- ५ -] १४३ केसर ]-------- ! ں ----- ن -- --! -- ن ں ن ں ں نہ--[ १४४ वञ्चित ----- ! ں ----- ن ---- !--ں نہ بں بں--[ १४५ चन्द्रोद्योत [७ • • • • • --!--Sunitabarve (चर्चा) १६:०४, १५ मे २०१७ (IST) -] १४६ रोहिणी ]ں ---- ن -- --!--------- !-س۔ س ن ں ں ن---[ [-۔ ں ----- ن ----- !----- ن -------- ~] ScikRc{T واگلا & [۔ -- ن ----- ن ---- !-- س - ن --------] RRr{Tہیdr۔ یہ گلا & १४९ *सोम”लेखा ] - ن ----- ن ----- ! ----- ن ------ ن -----[ १५० काङ्कल्ली ]---------- ن ---- lن ----- ن - --!-ں ں ن --[ [-- ب --- ب ---- !-- ن ں ں -- ن - ن ں ----- ]GچIrfa=f(fچ ? '& [-----------ں س-! --ں بں - ن - ن ں ------] 3&ہT! مۃ ا& [-ں Sunitabarve (चर्चा) -- ں ---- !--ں ں نہ - ب --- ن ں -----ں ن]x3 HRRR{fa2{ifekt'& [-- ی ----ں ۔س۔ --!-- س ن ں --ں بں !ں ں -------] Rr{HT&T}& کلاx'& १५५ विभ्रमगति [ शार्दूलविक्रीडित। ० ० - ५ -] [----ں ----- ! -- ں ں ن ں ں ن] de && qT १३८ विद्युत्; “ ऋतुमुनियतिर्विद्युन्नसौ तौ गुरुः' (के परििशष्ट); “न्सौ तौ गो विद्युन्मालिका' (हे २।२१० ); परन्तु झुदाहरणावरून विद्युन्मालिका वृत्ताची मोडणी [। ७ ७ ७ ७ ७ ॥-ऽ-।- ७ - । - ७ -] अशी हरावर्तनी वाटते. १३९ हारिणी (स्वछ ६०, हे २॥२९३); *वेदत्र्वश्वैर्मभनमयला गश्चेत् तदा हारिणी” (गछ २॥१७०). १४० *म्तौ स्तौ त्र्गी कोमललता घडें:” (हे २॥२८६). १४१ छाया (स्वछ १०४, हे २/३२६); *अियं छाया ख्याता ऋतुरसहँय यो मो नसै तौ गुरुः' के परिशिष्टात “ यौं मनसा भ्तौ गुरुः' असा पाठ भेद दिला आहे तो चुकीचा वाटतो. १४२ *नौ म्यौ ल्गौ करमकरभुजा छे:” (हे २/२२४). १४३ केसर (स्वछ ८९,