पान:छन्दोरचना.djvu/146

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पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने ११९ वृत्तविस्तार [----- ن ----- ن --! -- ن س ن ں ں ن! ---- ن --------] eRe{RTچ مجمہ [- - ܢܢ - - ܚ -1- ܝ ܚ ܝ ܚ ܢ ܝ !-- - ܚ -- -- - ܚ ܚ]àHTPrqRT ܟܐ [ - - ܝ -- -- ܚ - !-- - ܢ ܢ ܚ ܢܝ ܝ ܚ ] fܐܗܶIf* ܘܟ [- - ܢܢ - - ܚ - l - ܢ ܢ ܚ ܢ ܢ ܚ ܢܝ ܚ ! fܘܤIfàs [ àIfܗHI ܀ ܟ ९२ सिंहविस्फूर्जित [-----!--~~ --!-~ --~~-] ९३ चूतकुञ्ज्ञ [~ ~-----Sunitabarve (चर्चा) १६:०३, १५ मे २०१७ (IST)-!-~~ । -Sunitabarve (चर्चा) १६:०३, १५ मे २०१७ (IST)--] dfq ७८ चन्द्रलेखा (हे २/२०८), *नसरयुगगैश्चन्द्रलेखर्कुलकै:” (गछ २/१०५). ७९ मन्दाक्रान्ता (पि ७/१९), श्रीधरा (भ १६/८०); ** मन्दाक्रान्ता मभनततगा गः समुद्रर्तुलोकैः ? (क्षुवबृ १०३/९ ). ८० कुसुमितलता (ममच १८), कुसुमितलतावेछिता (पि ७/२०), चित्रलेखा (भ १६/८६), *घछेश्चित्रलेखा” (हे २/३०४), चन्द्रलेखा (विवृ ५/३९), कन्दर्पजात (ना १६९); *स्याद्धतत्र्वश्वैःकुसुमितलतावेछिता म्तो नयी यौ” (के ३/१००) ८१ ** विस्मिता यमौ न्सौ रौ ग् रसर्तुस्वराः?? ( पि ८/१८ ), सुवृत्ता (वबू १०३/७), चन्द्रकान्ता (विवृ ५/४१), रम्भा (स्वछ १०२), मेघविस्फूर्जिता (हे २/३२४). ८२ चित्रमाला (स्वछ ११०), सुप्रभा (विवृ ५/४२), सुवंशा (गछ २/२१०), * म्रौ भ्नौ तैौ गौ चित्रमाला छचैः” (हे २/३४०). ८३ नन्दीमुखी (स्वछ ११), वसन्त (हे २/२२५, ना १५१), ‘ स्वरभिदि यदि नौ तैौच नान्दीमुखी गौ” (गछ २/११७). ८४ चित्रलेखा (स्वछ ७३), चन्द्रलेखा (हे २/३०५);*मन्दाक्रान्तानपरलघुयुता कीर्तिता चित्रलेखा” (गछः २/१७९). ८५ पुष्पदाम (स्वछ ९८, हे २/३२८); “ मो गौ नै तौ गौ शरहयतुरगैः फुल्छदाम प्रसिद्धम्' (गछ २/२००). ८६ शोभा (स्वछ १०८), *यमौ नौ तैौ गौ शोभा चढें:” (ह २/ ३३९). ८७*य्मै नैौ रौ गो मुग्धकं चछेः” (हे २/३३०). ८८ स्त्रग्धरा (पि ७/२४), ** मरौ भ्नौ याश्च त्रयः स्युः स्वरमुनितुरगैः स्रग्धरा स्याद्विरामैः ?' (झुवबू १०३/५). ८९ महारूत्रग्धरा, * स्तौ त्र्नौ स्रौं गौं महास्रग्धरा जछे:”