पान:केकावलि.djvu/356

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( ४९ ) आयकिली-काय किली | काननी चोर-कां न नीचोर (हरि ३५,७५; गदा ८,२७) (विराट १,११४; ६,८) आयकों दावा काय कोंदावा कानांहीं-कां नाहीं (वामन च. ११७; वन ४,५६) (शांति ७,१२०; हरि २२,९९) आयकों देहा–काय कोंदे हा कांपविला-कां पविला (गोपीगोडवा ३, शांति ७,३६) (अनु ८,९१; कर्ण ३८,३८). आयुध-न्यास-आयु धन्यास कां मरणा-काम-रणा (गदा ६,१६; हरि ४८,१९५) (शल्य २,६७; कर्ण २७,५) आलि सये-आलिस ये काय गाजीव-कायगा जीव ___(शांति ५,११; हरि ३५,७७ ) (हरि ४३,२२; ५१,३४) आवांके-आ वांके (द्रोण १,४; हरि ३४,२४) काय होतात-कायहो तात उजराया-तुज राया (हरि ४७,६२; अनु ७,७७) (अनु ७,१०६; अश्व १,७०) काळजी वाहे-काळ जीवा हे उणीव रितें-गुणी वरते (हरि ४१,११४; कर्ण ६,६४) (गोपीगोडवा २६; विराट ५,३७) कुंद रितें-सुंदरि तें उत्तमश्लोक-उत्तम श्लोक - (हरि २९,४५; आदि ११,९) (हरि ३,५४, कृष्ण ८३,४७) कुनर पितयातें-पुनरपि तयातें उपायनसे-उपाय नसे (अश्व १,८१; हरि ४८,२३७) (शांति ४,२३; हरि ३०,९६) कुमार मणी-उमा रमणी उरतें-उर तें (कर्ण ४५,१२) (हरि ३५,६७; सौप्ति. २,२३) कर्कशतें-तर्कशतें (विराट २,५; ३,६५) | | केशव दे-लेश वदे (गदा ५,२३; कर्ण४१,२) कदंबातें-मदंबा ते (अनु २,१९; ८,१००)| क्रियापर महर्षि-प्रिया परमहर्षी कनकाची-जनकाची (अश्व १,५४; १,५७) (अनु ४,५५,शांति ४,१) करकांहीं-कर कांहीं (अनु १,१९; ४,७) घेराया-घे राया (विराट ४,६८; द्रोण १,१४) कराल करवाल-कराल करवाल चवघांस-चव घास (हरि ४८,१३९; द्रोण १,३८) (आश्र १,६५, अश्व ७,१८) करी नमन-करीन-मन जनकास-जन कास (हरि ४३,९५; कर्ण ४३,२९) (हरि ४१,८; आश्र २,७०) करी लगट-करील गट जलजनाभा जी-खळजना भाजी (हरि ४७,७२; शल्य २,७७)। (हरि ५०,६४; ९,१०८) कविराजे-न विराजे जवन वाजी-जव नवा जी (गदा ६,१३; हरि ११,१२)| (मौस. १,६८; गदा १०,२) काज वेचितसे-काजवेचि तसे जे विरवी-जेंवि रवी (हरि ४७,४८; ४८,२४७) (विराट ६,३६; शांति ७,९६)