हे पान प्रमाणित केलेले आहे.
आयुर्वेदांतील मूलतत्वे
अथवा
त्रिदोष
अनुक्रमणिका
अथवा
त्रिदोष
अनुक्रमणिका
विषयाचें नांव | पृष्ठ. | विषयाचें नांव | पृष्ठ. |
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थोडक्यांत वस्तुबोध | ... १ | वायूचे महत्वाचे वर्णन | ... ७३ |
आयुर्वेदांतील त्रिदोष | ... ५ | वायूची मुख्य स्थाने | ... ७५ |
त्रिदोषकल्पनेचा उगम | ... ७ | वायूला पिंडनांव योग्य नाहीं | ... ७६ |
पदार्थांची उत्पत्ती | ... ८ | वायूची विशिष्ट स्थानांतील कार्यें | ... ७७ |
पहिले तत्व कफ किंवा श्लेष्मा | ...१० | कटी-श्रोणीमंडल | ... ७८ |
श्लेष्म्याचे स्वरूप | ...११ | संवेदनात्मक वातस्थाने | ... ८१ |
श्लेषकत्व किंवा संघटनाची | ... | ऐशीवातविकार | ... ८५ |
आवश्यकता | ...१२ | या लक्षणांची तात्विकता | ...९२ |
कफाची मुख्य स्थाने | ...१३ | वात विकाराविषयी विशेष | ... ९३ |
कफाची अविकृताव- | ... , | बहुतेक वात विकार संसर्गजन्य | ... ९४ |
स्थेतीलि कार्य | ... | असतात | " |
कफाचे कार्याचा खुलासा | ..." | आवृत्त किंवा प्रतिबंध पावलेल्या | ... |
कफ हा मळ की मुख्य शक्ति | ...१४ | वायूची लक्षणे | ... ९६ |
कफाची विकृतावस्थेतील कार्ये | ...१७ | वातरक्त | ...१०० |
कफाच्या लक्षणांचा खुलासा | ..." | आमवात | ...१०२ |
कफामुळे होणारे काही विकार | ...२४ | ऊरूस्तंभ | ..." |
श्वास किंवा दमा | ...२५ | वायूच्या उत्सर्जक गणाचे म. | ...१०३ |
कास किंवा खोकला | ...२७ | संसर्ग आणि सन्निपात | ...१०४ |
राजयक्ष्मा-कफक्षय | ...२९ | संसर्ग म्हणजे काय ? | ..." |
श्लेष्मा म्हणजे काय? | ...३४ | रोगप्रतिकारी सामर्थ्य | ... |
पित्त म्हणजे काय ? | ...३६ | कोठून उत्पन्न होते ? | ...१०५ |
पित्त या शब्दाचा अर्थ | ...३७ | आमावस्था | ...१०६ |
पचनाची अवश्यकता | ...३८ | पच्यमानावस्था | ..." |
पित्ताची मुख्य स्थाने | ...३९ | संनिपात | ...१०८ |
पित्ताचे तात्विक व व्यापक रूप | ...४८ | आम | ...११० |
पित्तजन्य लक्षणे | ..." | एकदोषी विकार | ...११५ |
या लक्षणांचा खुलासा | ...४९ | विषारी अथवा विनाशक द्रव्य | ...११६ |
पित्ताचे रोग | ...५५ | सर्वांचा सर्वागिण प्रकोप होय | ...११८ |
पित्तविकारांपैकीज्वर | ...५६ | एकंदर त्रिदोषांचे त्रेसष्ट प्र. | ...११९ |
वायु | ...६७ | त्रिदोषांचा शास्त्रीय व्यवहार | ...१२० |
वायु म्हणजे काय? | ...६८ | दोष आणि दूव्ये | ...१२२ |
शरीरांतलिहालचाली | ...७० | शारिर विज्ञानामध्ये | ... |
चे प्राधान्य व क्रम | ..." | त्रिदोष हे किती महत्वाचे आहेत | १२३ |