पान:श्रीएकनाथ.pdf/42

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२६ श्रीएकनाथ. चौथा सरदार-एक बुढी अम्मा ( मोठ्याने रडतो ). - एकनाथ-क्या तेरेकू माकी याद हवी ! तू जंगके वास्ते आया हय या रोनेके वास्ते ? तेरी गर्दन मय् आब् उडादेता. (टार मारण्याचे अवसान दाखवितो.) चौथा सरदार-मेरी बात सुनो. मय ऐसा बोलता हय् के, एक बुढी अम्मा यांपर आइथी. उसे कीलेमे जानेका चोररस्ता जिस्मेसे तुमारी जमीयत चली आती हय् वो मालूम हय्. उस् बुढीको तुमारे मुर्तजा निजामशहा बादशहाने बहोत ताराज कीया हृयू. वास्ते इसके हमारे बादशहाको वो रास्ता बतानेके वास्ते ले गयी हय; मगर वो देखो हमारे बादशहा तोफलखानको लेके इदर आती हय्. एकनाथ—सब लोग खामोए रह्यना. कोई जबानसे बात करेगा तो मय जबान छाट् लेऊंगा. सब लोगोने एक सरीके एक बाजूकू खडे रह्यना, मूसे एक लव्हज् बी नहि निकाल्ना. मय् तोफलखानके सात् वात् करताहूं. ( तोफलखान व मातारी प्रवेश करतात. तलवारीचें टोंक त्याच्या गळ्याशी लावतो. मातारी तोफलखानाचे डोळे सोडते.) जनाबेमंद, अगर जान बचानेकी खायश् हो, तो हत्यार खाली रखो. बहोत् अपसोस की बात् हय् के, आप् जनाबमुर्तजा निजामशहा बादशहाके ताबेदार हो. आपके तमाम उमराव कैद कीये गये हय्. उनका हत्यार छीन लीया हय्. आप्के तरफ्का ह्यां एक बो अदमी नहि. इसका गौर होना चाहीये. आप्कू पादशाके तरफ ले जाताहूं, और आपके हातपर हात देके ये कसम् करता हूं के आपके जानपर आफूत् न आवेगीं ऐसी तरकीब निकालके आपकू बहोत् आदबसे आपने जायपर वापस पोहोचावेंगे. आप मेरे बड़े भाई हो, मेरे हात्से हात मिलाव, और मेरे साथ चलो कालेमे. आपकू बादशाहासे बडि जियाफ्त दिलाता हूं. बिलकुल रंज नहीं करना. आज हमारा दिन हृय, कल तुमारा था. ये सब शिकंदरके तारे चमकते हय्. तोफलखान-मेरे लोगोका मुजे ऐसा घुस्सा आया हय् के, मय् उनको मानिंद बकरीयोकें काट खाऊ. तुमने अपने हत्यार कैसे दुश्मनके ताबमें दिया ! और तुम कैदी कैसे बने ? जंग करते हुवे