पान:केकावलि.djvu/373

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६९ ध्रुव (१ उत्तानपादपुत्र, २ खरोखर)। ८८ पुराणपुरुष (१ ईश्वर, २ वृद्ध) संशय केका ६५. रत्नमाला २३. ७० नकुळ (१ माद्रीसुत, २ मुंगुस) कर्ण- | ८९ पुरारे (सभंग श्लेष) (१ त्रिपुरशत्रो - पर्व. १४.३६. शंकरा!, २ पुरा-रे-पुरून टाका) हरि७१नंदन (१ पुत्र,२ स्वर्गवन,३आनंद देणारा) | दन (१ पुत्र,२ खगवन,३आनंद देणारा) | हरस्तव ९. साधुरीति ५०, आदि. ३६,५७; ('नंदन- | ९० पुरुष (१ जीव, २ मनुष्य) सावित्रीवनं व्रज'-मुक्तामाला) आख्यान अभंग. ७२ नर (१ अर्जुन, २ मनुष्य) वन. १४,२९ | ९१ पुष्पवती (१ पुष्पयुक्तलता, २ ऋतुमती ७३ नाग (१ सर्प, २ हत्ती) उद्योग. ४,६१; स्त्री) मंत्ररामा. यु. ७९१ . गदा ३,२१. | ९२ प्राकृत (१ साधारण मनुष्य, २ प्राकृत ७४ निर्गुण (१ मूर्ख, २ ईश्वर ) भीष्मपर्व ह्म० मराठी भाषा) ज्ञानदेवस्तव ९. १,६४. | ९३ बळी (१शक्तिमान,२राजनाम) केका७६. ७५ नीरस (१ रसविहीन, रुक्ष, २ दयाहीन) ९४ भागवत (१ भाग करणारा, २ भगव__ आदि ९,६३ द्भक्त) मंत्रभाग १०.४२८. ७६ नृसिंह (१ नरश्रेष्ठ, २ अवतारी कृष्ण) ९५ भीम (१ शिव, २ पृथापुत्र, ३ भयंकर्ण. ४०,१. कर) विराट. २,४९. वनपर्व ९,४५ ७७ पंक (१ चिखल,२पाप) आदि १५,५४. ('भीमाकृति') ७८ पतंग (१ सूर्य, २ किडा) कृष्णविजय ९६ भुजग (१ भुजस्थ अलंकार, २ सर्प) ८१,९२. वनपर्व ११,९८. ७९ पतित ( 1 पडलेला, २ पापी) कृष्णवि. | ९७ भुजंग (१ सर्प, २ जार) वनपर्व १२,८८. ६२,२३ केका ५, सौप्तिक १,४१. ९८ मंगल (१ शुभ, २ ग्रहविशेष) कृष्ण८० पद (पाऊल,२ वाक्यांश) द्रोण.११.२८ विजय अ० २९ ८१ पय (१ ग्ध, २ पाणी) स्फुटकाव्ये भागी ९९ मत्स्य (१ मासा, २ मत्स्यदेशस्थ) विराट. ८२ परपुरुष (१ अन्य पुरुष, २ ईश्वर)सन्मनोरथराजि ४५. | १०० मधुप (१ भ्रमर, २ दारूबाज) वनपर्व ८३ परख (१ दुसऱ्याचे द्रव्य, २ ईश्वराचे १२,८८. द्रव्य) केका ५७. | १०१ मयूर (१ मोर, २ मोरोपंत ) केका ८४ पराभूति (१ पराभव. २ उत्कृष्ट ऐश्वर्य) १२१,१२२; भीष्मभक्तिभाग्य. गदा. ४,२१. १०२ मल (१ पाप, २ विष्ठा) केका ५८. ८५ पर्व (१ पर्वणी, २ खंड) अनुशासनपर्व १०३ मलिन (१ मळकट, काळे, २ पापी) ७,१. कृष्णवि. ६५,३४ ('मलिनवदन'२१ दु. ८६ पाणि (१ जल, २ हस्त) मंत्रीभाग. कर्मोनी कृष्णवदन, २ काजळाने कण१०. ४००. वदन-कृष्णवि. ८१,९३) ८७ पुनर्भव (१ पुन्हा जन्मणारा, २ पुन्हा | १०४ मानस (१ मन, २ सरोवर) उद्योग. - उगवणारे केस) (आदि. ९,६३) ११.१७.