गाहा सत्तसई
गाथासप्तशती
[संपादन]सध्या उपलब्ध गाथांची संख्या कमी असल्यामुळे सध्या त्या सारणी स्वरूपात याच पानावर दिल्या आहेत त्यांची क्रमवारी येथील चर्चा पानावर सुचवून त्या क्रमाने स्वतंत्र उप-लेखात स्थानांतरीत कराव्यात.मूळ गाथा लिहिणे आणि मूळगाथे प्रमाणे ठेवण्याकरता त्रुटी दूर करण्यात सक्रीय सहभाग हवा आहे.
अनुक्रम | गाथा | अनुवाद १ | शक्य गृहीत शब्दार्थ १ | अनुवाद शक्यता २ | शक्य गृहीत शब्दार्थ २ | काँटेक्स्ट | पाठभेद |
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१ | पसुवईणो रोसारूणपडिमासंकन्तगोरिमुहन्दम । गहिअग्धापङ्ग्कअं विअ संझासलिलंजलिं णमह ॥ |
उदाहरण | पसुवईणो- रोसारूण-पडिमा- संकन्त-गोरिमुहन्दम- गहिअग्धा-पङ्ग्कअं- विअ- संझा- सलिलं- जलिं- णमह-(नम:) | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण |
२ | अमिअं पाउअकव्वं पढिउं सोउं अजे ण आणन्ति। कामस्य तत्त्तन्तिं कुणन्ति ते कहॅंण लज्जन्ति ?॥ |
उदाहरण | अमिअं- पाउअकव्वं- पढिउं- सोउं- अजे- ण- आणन्ति- कामस्य- तत्त्तन्तिं- कुणन्ति- ते- कहॅंण- लज्जन्ति- (लज्जा/लाज) | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण |
३ | सत्त सताइं कईवच्छलेण कोडिअ मज्झाअरैम्मि । हालेण विरईआइं सालंकाराणँ गाहाणम् ॥ |
उदाहरण | सत्त-(सात), सताइं-(शंभर), कईवच्छलेण- कोडिअ- मज्झाअरैम्मि- हालेण-(हालाची), विरईआइं- सालंकाराणँ- गाहाणम्- | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण |
४ | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
५ | हंसाणं सरेहिं सिरी सारिज्जइ अह सराणं हंसेहिम् । अण्णोणं चिअ एए अप्पाणं णवर गरुअन्ति । | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
६ | परिमलिआ गोवेण तेण हत्थं पिजाण ओल्लेइ । स च्चिअ धेणू एहिं पेच्छसु कुड दोहिणी जाआ।। |
उदाहरण | परिमलिआ- गोवेण- तेण- हत्थं- पिजाण- ओल्लेइ स- च्चिअ- धेणू- एहिं- पेच्छसु- कुड- दोहिणी- जाआ- | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
७ | दिट्ठा चुआ, अग्घाइआ सुरा, दक्खिणाणिलो सहिओ । कज्जाइं व्विअ गरूआई मामि ! को वल्लहो कस्स ? ॥ |
उदाहरण | दिट्ठा- चुआ-, अग्घाइआ- सुरा-, दक्खिणाणिलो- सहिओ- कज्जाइं- व्विअ- गरूआई- मामि- को- वल्लहो- कस्स- | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
८ | तालूरममाउल्खुडिअकेसरो गिरिणईए पूरेण । दरबड्डउबुड्डणिबुड्डमहुअरो हीरइ कलम्बो ॥ |
उदाहरण | तालूर- ममा- उल्खुडिअ- केसरो- गिरिणईए- पूरेण-(पूरात) दरबड्ड- उबुड्डणिबुड्ड- महुअरो- हीरइ- कलम्बो- | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
९ | सव्वत्थ दिसामुहपसॉरिएहिं अण्णोण्ण्कडअलग्गेहिं । छल्लिं व्व मुअइ विञ्झो मेहेहिं विसंघ्हडन्तेहिं ॥ |
उदाहरण | सव्वत्थ- दिसामुहपसॉरिएहिं- अण्णोण्ण्कडअलग्गेहिं- छल्लिं- व्व- मुअइ- विञ्झो- मेहेहिं- विसंघ्हडन्तेहिं- | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
१० | गोलाविसमोआरच्छलेण अप्पा उरम्मि से मुक्को । अणुअम्पाणिद्दोसं तेण वि सा आढमुवऊढा ॥ |
उदाहरण | गोला- विसमो- आरच्छलेण- अप्पा- उरम्मि- से- मुक्को- अणुअम्पाणिद्दोसं- तेण- वि- सा- आढमुवऊढा- | उदाहरण | उदाहरण | ||
११ | जइथ वि हु दिल्लिंदिलिआ तह वि हु मा पुत्ति ! णग्गिआ भमसु । छेआ णअदर्जुआणो माअं धुआइ लक्खंति ॥ |
उदाहरण | जइथ- वि- हु- दिल्लिं- दिलिआ- तह- वि- हु- मा- पुत्ति- णग्गिआ- भमसु-
छेआ- णअदर्जु- आणो- माअं- धुआइ- लक्खंति- |
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१२ | विवरीअ रअम्मि सिरी,बम्हं दट्ठूण णाहिकमलत्थं । हरिणो दाहिणनअणं, रसाउला झत्ति ढक्केइ ॥ |
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१३ | पहिउल्लूरणसंका, उलाहि असईहि बहुलतिमिरस्स । आइप्पणेण णिहुअं, वडस्य सित्ताईं पत्ताईं ॥ |
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१४ | एक्क च्चिअ रूअगुणं, गामिणधूआ समुव्वहइ । अणिमिसण अणो सअलो, जीए देवीकओ गामो ॥ |
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१५ | जं तुज्झ सई जाआ, असई ओ जं च सुहअ। ता किं फ़ुट्टउ ? बीअं, तुज्झ समाणो जुवा णत्थी ॥ |
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१६ | केलीअ वि रूसेउं ण तीरए तम्मि चुक्कविणअम्मि । जाइअएहिँ व माए! इमेहिँ अवसेहिँ अंगेहिँ ।। २ : ९५ ।। |
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१७ | अवलंबिअ-माण-परम्मुहीऍ एंतस्स माणिणि ! पिअस्स । पुट्ठ-पुलउग्गमो तुह कहेइ संमुहटिठअं हिअअं ।। १ : ८७ ।। |
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१८ | गृहिण्या महान सकर्मलग्नमषीमलिनितेनहस्तेन । स्पृष्टम मुखं हस्यते चान्द्रवस्था गतं पत्या ।। |
उदाहरण | गृहिण्या महान सकर्मलग्नमषीमलिनितेनहस्तेन । स्पृष्टम मुखं हस्यते चान्द्रवस्था गतं पत्या ।। |
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१९ | तस्स अ सोहाग्गुणं अमहिलसरिसं च साहस मज्झ । जाणइ गोलाऊरो वासारत्तोद्धरत्तो अ ।। |
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२० |
पच्छाएमि अ तं तं इच्छामि अ तेण दीसन्तम |
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२१ | पउरजुवाणो गामो महुमासो जोअणं पई ठेरो। जुण्णसुरा साहीणा असई मा होउ किं मरउ? ।। |
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२२ | वाएरिएण भरिअं अच्छिं कणउरउप्पलरएण । फुक्कन्तो अविइह्णं चुम्बन्तो को सि देवाणम ।। |
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२३ | उअरि दरदिट्ठथण्णुअणिलुक्कपारावआणँ विरुएहिं। णित्थणइ जाअवेअणँ सूलाहिण्णं व देअउलम ।। |
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२४ | रन्धणकम्मणिउणिए! मा जूरसू, रत्तपाडलसुअन्धम । मुहमारुअं पिअन्तो धूमाइ सिही, ण पलज्जइ ।। |
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२५ | पाअपडिअस्स पइणो पुट्ठिं पुत्ते समारुहत्तम्मि । दढ्मण्णुदुण्णिआए वि हासो घरिणीए णेक्कन्तो ।। |
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२६ | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
२७ | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
२८ | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
२९ | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
३० | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | |
३१ | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण | उदाहरण |
गाथासप्तशती अनुक्रम
[संपादन]- गाथासप्तशती/१
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संदर्भ
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हे साहित्य भारतात तयार झालेले असून ते आता प्रताधिकार मुक्त झाले आहे. भारतीय प्रताधिकार कायदा १९५७ नुसार भारतीय साहित्यिकाच्या मृत्युनंतर ६० वर्षांनी त्याचे साहित्य प्रताधिकारमुक्त होते. त्यानुसार १ जानेवारी १९५६ पूर्वीचे अशा लेखकांचे सर्व साहित्य प्रताधिकारमुक्त होते. |