पान:छन्दोरचना.djvu/153

विकिस्रोत कडून
या पानाचे मुद्रितशोधन झालेले नाही

पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना १२६ हे २/३०७); ‘अर्थाश्वाश्वैर्मभनयरयुगैर्वित मतं कसेरं” (गछ २/१८७). १४४ वख्रित (हे २/३२९), विचित (हे), चन्द्रबिम्ब ( स्वछ १००), बिम्ब ( गच्छ २/२०२); **म्तौ न्सैौ तौ गो वाञ्चितं ङछैः” (हे २/३२९). १४५ चन्द्रोद्योत(स्वछ ३१); *नौ मो रौ चन्द्रोद्योतः जैः” (हे २/२४८). १४६ रोहिणी (स्वछ ६७);*नस्मम्यल्गा रोहिणी चर्धेः” (हे २/२९६). १४७ ज्योत्स्ना (स्वछ २३); *म्रम्यल्गा ज्योत्स्ना छेः” (हे २/२२८). १४८ चन्द्रसेना (ममच), चन्द्रलेखा (हे २/२५१); “म्रौ मयौ यश्चन्द्रसेना घेौटकैर्वसुभिर्मिदा” (ममच १८). १४९ * सोम” लेखा; *राद्रम्ययाश्चन्द्रलेखाः छेः” (हे २/२५२). १५० *म्रभ्या रौ काश्न्री टॅ:” (हे- २/३०१), वाचालकाश्धी (हे). w १५१ शार्दूलविक्रीडित (पि ७/२१); ‘* म्सौ ज्सौ तौ गुरुकं च सूर्यतुरगैः शार्दूलविक्रीडितम्” (श्रुववृ १०३/४) १५२*शार्दूलं वद मासषट्कयति म: सो जसौ रो मश्चेत्” (गछ २/१८६). १५३ मक्तेभविक्रीडित (हे २/ ३३७); ** सभरा न्मौ यलगास्त्रयोदशयतिर्मत्तेभविक्रीडेतम्” (गच्छ २/२११). १५४ *म्नौ स्नो म्यौ ल्गै सद्रत्नमाला ड्जैः ” (हे २/३४१). १५५*म्सौ ज्सौं तौ भ्रौ विभ्रष्मगतिः” (हे २/३७२). १५६ घट (ना १३६). या वृत्तांत लगक्रम पुष्टाचाच आहे; पण यात सातव्या अक्षरानन्तर आहे. केदारभट्ट पुष्टवृत्तांतच हे यती साड्गतो.* मुनिशरविरतिनीं म्यौ पुटोऽयमू” (के ३/५०). १२ मदनललिता-वर्ग सुवदना-शार्दूलललित-पृथ्वी-सुरतललिता [--ں ں نی ----- ! --ں ب س ن ں !---------]dTڑGr{&f}#واA' ? [- ܚ ܝ ܚ - -- ܐ - ܚ ܢ ܢ ܚ ܢܝ !-- -- -- -- - ܚ ] àTܟflܕ݂ 2؟ १५९ सुमधुरा [---- ७ -- !ں ں ں ---- ! -- ں ن ں ں ن-- [-ں ں نی ----- !--ں بں ں ن ں !---- ب -------]o ge{G.s{T && [--ں بں --! --ں بی بں دیں !---- نی ---------] gRRHT& & & & १६२ ]------- ں ں نی -- --! --ں ں ن --ں --- س ن---[ १६३ ] - -- ܚ - ܚ ܢ ܝ ܚ 1- ܢ ܢܝ ܚ - ܚ - ܚ ܢܝ -[