पान:छन्दोरचना.djvu/214

विकिस्रोत कडून
या पानाचे मुद्रितशोधन झालेले नाही

पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने (VS वृत्तविस्तार ७६१ नूर्गी धवल (प्रापै २/१९२). हें वृत्त [। ७ ७ ७ ७ ५ V V v V V V V V V V ।। ७ ० ० -] असें हरावर्तनीहि होॐ शकतें. ७६२ म्भौ न्यौ गै हंसश्येनी घचैः, कुटिला (पि ८/१०) मागे ४६२ मध्यक्षामा टीप पहा. ७६३ कनक “ मयी ”; “ कनकलता सा कथिता पण्नैर्युक्ता तथा लगाभ्यांच ?? (ममच्च १९). ७६४ त्यौ स्भैौ गौ *शुभकामी ? ७६५ ज्भौ त्रौ गौ * कलावती ?. . . . ७६६ ज्भौ त्रौ स्“मरीचिका?. ७६७ स्भौ त्यौ गौ *शरयू”. ७६८ स्भौ त्यौ स् ** प्रियशिष्या ?'. ७६९ ** स्नज्नभ्साः सुरभिस्त्रिडैः ?' (हे २/३१७), शुभ (ममच १९), मागे हंसक ४०२ US. V9\9o यसौ भतौ यू “ यशोगन्ध ”. v998 साँ जै ' दयामकान्त '. v99Q भतौ साँ र् “नुपूर”. V998 यजैौ भ्तौ र्*रसोदात्त?”. ७७४ यौ रौ ल्गौ *ॐनुषा” छैः. ७७५ मैौ मौ श्रीलीला हें वृत्तनाम श्रीनिवासपण्डित म्हणजे रावजी महाराज हा आपल्या लक्ष्मीसहस्रावरील टीकेंत देतो; मागे कल्याण ४८८ पहा. ” স্ত্রী 击 गी **मनोमोहिनी” छैः. ७७७ यौ त्रौ गौ “ रङ्गराग ;99یا छैः. ७७८ स्भौ त्यौ सगौ *गिरिबाला”. ७७९ ज्भौ त्रौ स्गौ ‘* वसुन्धरा ” जैः. ७८० भ्तौ य्सौ भ्गौ ** अिन्दुमुखी ?', ** प्रमदा सत्यसभागा वर्णेर्वर्णयतिर्भवेतू” (ममच १८), यांत वस्तुतः लक्षण भत्यसभगा तर नसेल? ७८१ ज्तैौ ज्रौ भ्गौ ** प्रमाथिनी ?? जैः. ७८२ जाँ यजौ भ्गौ *पाणबन्ध” जैः. ७८३ भ्रौ यसौ ज्गा *मानसभक्षुनी” जैः. हें वृत्त नागरकाच्या द्विरावृत्तीने सिद्ध होतें. ७८४ वरूथिनी, *शरत्रयैयुगाश्छिन्ना जन्भस्न ज्गा वरूथिनी” (ममच १९). ७८५ *मदकलनी नजनभसा नलगाश्छिन्ना शराङ्गबाणाङ्गैः ?? (ममञ्च १९). ७८६ माध्वी, ** तुरङ्गना लगौ माध्वी मासै रुद्रैश्च वा यतिः ? (ममच्च १९). ७८७ मृगौ विदलितसरसिज (ना १९५). ७८८ अपवाहक (पि ७/३१), *मनूसगगा” अपवाहो झचचैः” (हे २/३७८).