पान:छन्दोरचना.djvu/183

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पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना R ४५८ असम्बाधा (पि ७/५), असम्बन्धा ( ममञ्च १८ ), ** म्तौ न्सौ गावक्षग्रहविरतिरसम्बाधा” (के ३/७६). ४५९ नौ सौ त्र्यंौ पङ्कजवक्त्रा घशै: (हे २/३१६). आवर्तनारम्भ चरणारम्भीं धरिला तर या वृत्ताची मोडणी 1if ܐܶܗܶܳܐ[3 :xܗà]3fi [- - ܝ ܚ - !-- - ܚ ܝ -- ܐ ܝ ܚ ܝ ܚ ܝ ܚ ܢ ܢܝ | ] ओकावेळीं आवर्तनान्तीं घेतां येत नाहीत. ४६० * गृहलक्ष्मी”; * लक्ष्मीरष्टविरामा म्सौ तभौ गुरुयुग्मम्' (गछ २/१२०). आठव्या अक्षरानन्तर यति न पाळला तर मोडणी [। --- ७ ७ ॥ --- ऽ ७ ॥ - ७ ७ --.] अशी होअील. २६ माल्यश्री-वर्ग ४६१ ' माल्यश्री' [ । -- --। -- --। ---] ४६२ मध्यक्षमा [ । -- - - ! ७ ७ ७ ७ ७ ७ - । ---] [-- -- - | - ܝ ܚ ܝ ܚ ܝ ܚ | - ܝ ܚ - ܢ ܚ | ] ܕ»f3ܗܶ ܕ݁ܶ&X [---ں ں I ----ں ں --!---------i[I}ہY H(tH& کلا [---- ن ں ا ن ں --- ن ں -۔ 1ں ں --- ن ں --!] }زم]x&[RRH'&کلا ४६६ ‘ स्व”र्विक्रान्ता [। - - - - । - - - - । - ० ० -] [ - ܝ ܚ - | ܝ ܚ - ܝ ܚ - ܐ ܝ ܚ - ܚ ܢܝ -- ܐ ] ܕܢàsTܟ݂] 9ܪX8 ४६८ मदनवती [। ----। --- - | ~ ` ७ ७ -] [- ܚ ܝ ܚ ܝ | - - ܚ ܝ -- ܐ -- -- -- -- ܐ ] ܘܶf"Ifܘܪ ܠ&ܐ [- ܚ ܝ ܚ ܝ | - - ܝ ܚ - | - - ܝ ܚ - 1] efܗܘܤܕܘ3g ܘY9 [- ܝ ܚ ܝ ܚ ܐ -- - ܝ ܚ - | ܝ ܚ - ܝ ܚ ܝ ܚ ܐ ] ܐܶfàRgéf ؟ Y9 [- ܢ ܢܝ ܝ ܚ | - ܢ ܢܝ ܝ ܚ - | ܢܝ ܚ ܝ ܚ - ܢ ܢ | ] hܟܪà ܟX9 [- ܝ ܚ ܝ ܚ ܐ -- - ܝ ܚ ܝ ܚ ܐ ܝ ܚ ܝ ܚ ܢ ܝ ܟ ܚ |]Iܘhshܟ݂ ܕ݁ܶY9 [-- ن - ں !---- ں ن ں ں !---ں ں ن ں ں نہ | ] }Rہ}}}CTr کلاوا کلا [- -- -- ܐ - ܝ ܚ ܝ ܚ ܝ ܚ ܐ ܠ ܠ - - ܝ ܚ | ] ܣY9" 3già [- ܟ ܚ ܝ ܚ ܐ ܝ ܚ ܝ ܝ ܚ - ܚ ܐ ܡ ܠ - ܝ ܚ - []»faܗfqܕY98 T [- ܟ - ܝ | - -- - ܟ ܟ | ܠ - ܟ - ܚ ܟ |] 7*fܕiRܟ݁* ܘYo [- ܚ - ܟ | - ܟ ܝ ܟ - ܟ ܐ ܟ ܠ - ܟ ܢܝ ܟ ܟ [] 5THsh ܐܦܐ [- ܠ - ܚ ܐ - ܟ ܚ ܟ - ܚ ܐ ܠ ܠ - ܚ ܟ ܚ ܟ [] ܐܶ3gHR ؟Y9