पान:छन्दोरचना.djvu/139

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पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना FRR गौ झुपस्थिता' (हे २/१३३). २० वसन्ततिलका (पि ७/८), सिंहोन्नता (विवृ ५/३१); *त्र्भौं जौं वसन्ततिलकं गुरुकद्वयं चेत्” (श्रुवबू १०३/३३) २१ ऋषभ (हे २/२४३ ), ** ऋषभाख्यमेतदुदितं सजसाः सयौ चेत् ? (गछ २/१४४). २२ * त्जसस्याः शिशुः ” (हे २/२६०). २३ मो ज्सौ स्यी स्वर्णाक्षी. हें नाव विद्याधर वा. भिडे यांनी भिजी १८४ व्या कवितेवर दिलें आहे. या वृत्ताची मोडणी [। ---ऽऽ॥ ७ - ७ ७ ७ - । ७ ७ - ७ - ऽ।-] अशी धरिल्यास तें पद्मावर्तनीहि होअील. २४ *भ्यसस्याः केतनं” (हे २/२६१). २५ * स्यैी विमला” (हे २/४१); याच्याच द्विरावृत्तीने केकिरव वृत्त सिद्ध होतें. या वृत्ताची मोडणी [। ७ ७- ७।--]] अशी धरल्यास तें हरावर्तनी होर्त. ३ अिन्द्रवंशा-वर्ग वंशस्थ-रुचिरा—प्रहर्षिणी [-- ن --ں --ں نہ ! ---- نس--۔ ] ITچdہ=}&f&& २७ सुदन्त ] ب - ب --- س ن -- س - ن - ن ں ---[ २८ वंशास्थ ] ب --سے ں ---- lب - ب - ب ب -[ २९ मञ्जुभाषिणी [५ - ५ -- । ५ ५ ५ - ५ - ५ - ] ३० मृदड्ग ]---- ن -- ن ں !-- ب س ن سب -- -[ ३१ लक्ष्मी ] ن - ن - ب س ن ں ! -- ن ہے۔ --۔ --[ ३२ रुचिरा ] ب س ن - ب س ن ں ! سے ب س ن -[ ३३ रुक्मिणी ] س --ں --lن -- ن --ں نا ں ن ----[ ३४ “सु” रुचिरा ] ہے۔ -- ن ----- ب س ن ب! سب سے ں [ [-- س - ن -- ن - ں با ن ں !------ ] Rium}ہاR ३६. ‘म्लेञ्छ? ------- 1 - س-ں -- ن - دہ سس۔ س ن[ ३७ घकामला ] س۔ -- ن - س - ن ں و، نہ ! ----- س ن[ ३८ 'मधुमक्षिका' ]-ں س-ں سے ں ں ں ں !--بں س-- -[ ३९ रमा ] 1- - ܝ - ܝ - ܟ ܟ ܚ ܟ 1- ܢ ܟ ܝ ܚ[ - ४० ** निर्मला ? ] س ں -- س - ن ں[