अशोक वाजपेयी -
■हमारी पुस्तक संस्कृति हमारी भाषा संस्कृति की जूल है।
■ पुस्तक धरोहर है। ये पुराने इतिहास, भूगोल, परंपरा, जीवन सभी से जोडती है।
■ पुस्तकोंसे अक्षर, शब्द संसार का ज्ञान होता है।
■किताबें पढ़ने से आत्मा का विस्तार, दूसरों के साथ शिरकत, दुनिया की जटिलता-सूक्ष्मता की समझ, आचार-व्यवहार की जानकारी आपको अधिकांशतया किताबों से मिलती है। पुस्तक विहीन व्यक्ति अंततः संवेदनहीन व विचारहीन व्यक्ति ही होगा।
डॉ. मैनेजर पाण्डेय -
■ किताबों से ज्ञान होता हैं। चेतना मिलती हैं। मनोरंजन होता है। सबसे बड़ी बात ये है कि मनुष्य सामाजिक बनता है और समाज का विकास होता है।
डॉ. माधुरी अनिल जोशी -
■बहुश्रुत अच्छे दोस्त की संगत से होनेवाले ज्यादातर लाभ अच्छे पठन से भी होते है।
■ ज्ञान के अन्य साधनों की तुलना में वाचन अत्यंत कम खर्च में किया जा सकता है।
■ मुद्रण कला का विकास होने के कारण 'पढ़ना' - ज्ञान साधना को कोई भी प्राप्त कर सकता है।
■ विचार पुस्तक के रूप में होने से किसी के भी पास जा सकते हैं।
अली सरदार जाफ्री -
■ यदि समाज में युवा वर्ग को पुस्तकें पढ़ने की आदत डाल दी जाय और खाने के लिए दो रोटी की व्यवस्था हो जाय तो अपराध होना कम हो जायेंगे।